गुमनाम रास्ते
गुमनाम रास्ते
मंजिल नाराज़ हैं, और रास्ते गुमनाम से हैं
जिन्दगी तू ही बता, हम यहां किस काम से हैं।
दिखाने लगें है वो लोग भी आईना ,
नाम जिनका मेरे नाम से है ।
संभलती नहीं दुश्वारियां मुकद्दर की
और तू यँहा कितने आराम से हैं।
तेरी मेहरबानी नहीं तो और क्या ,
मुहब्बत तुमसे और रिश्ता अब जाम से है ।
जिसकी सुबह ही ना हो "गौतम " ,
मुझे क्या मतलब उस शाम से है I
गौतम वशिष्ठ
shweta soni
31-Aug-2022 11:47 AM
Behtarin rachana
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Gunjan Kamal
29-Aug-2022 01:23 AM
बहुत खूब
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Madhumita
28-Aug-2022 04:53 PM
बहुत खूब
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